उसने जब से होश संभाला अपनी बड़ी बहन को झूठ बोलने के कारण मम्मी की डांट खाते हुए देखा। इसलिए उसने ठान रखा था कि कभी झूठ नहीं बोलेगा।
उसके बाबा रोज शाम को कहानियां सुनाया करते थे। कभी कभी राजा हरिश्चंद्र की कहानी सुनाते तो सच के प्रति उसकी आस्था और बढ़ जाती।
वह रोज सोचता दीदी झूठ बोलना कहां से सीखी जबकि सच बोलने में कितना मजा आता है।
गर्मियों की छुट्टियां खत्म हुईं। उसको स्कूल ले जाने के लिए नया बस्ता, नया टिफिन बॉक्स और नई पानी की बोतल मिली।
स्कूल की छुट्टी होने पर वो घर के लिए आने लगा। रास्ते में जब वो एक नाली के पास से गुजर रहा था, उसको एक कुत्ते के रोने की आवाज सुनाई दी।
उसने नाले के पास जाकर देखा तो एक पिल्ला पूरी तरह नाली के पानी में भीगा हुआ नाली से बाहर आने की कोशिश कर रहा था।
उसने आस पास नजर घुमाई तो कोई दिखाई नहीं दिया। पिल्ला उसको देख कर और तेज चिल्लाने लगा जैसे उससे बाहर निकालने की गुहार कर रहा हो।
उसको कुछ समझ नहीं आया कि कैसे पिल्ले को बाहर निकाले। वो नाली के किनारे पर लेट गया अपनी टाई निकाली और नाले में लटका दी।
पिल्ला कोई इंसान तो था नहीं जो टाई पकड़ कर बाहर आ जाता। उसको थोड़ी ही देर में ये बात समझ में आ गई।
उसको कोई ऐसी चीज चाहिए थी जिसमें पिल्ले को फंसा के ऊपर खींचा जा सके। उसको अपनी बोतल की तनी सबसे सही औजार लगी।
उसने तुरंत अपनी बोतल की तनी पिल्ले की तरफ लटका दी। पिल्ला उसमें फंसा भी लिया पर जब खींचने लगा तब पिल्ला घबरा गया और तेज तेज पैर चलाने लगा।
बोतल की तनी टूट गई, पिल्ला नीचे गिर गया, उसके हाथ में सिर्फ बोतल रह गई।
वो भी घबरा गया। तभी उसको पीछे से दीदी की आवाज आईं, यहां क्या कर रहा है?
उसने बता दिया तो दीदी ने पिल्ले को बाहर निकाल दिया। वो खुश हो गया। दोनों घर की तरफ चल दिए।
रास्ते में दीदी ने उसको कहा कि पिल्ला निकालने की बात घर पर किसी को मत बताना। कपड़े गंदे हुए और बोतल की तनी टूटने के लिए कह देना कि स्कूल में किसी से लड़ाई हो गई थी।
यह तो झूठ होगा, मैं झूठ नहीं बोलता, मैं सच ही बोलूंगा, उसने कहा। दीदी चुप हो गई।
घर में घुसते ही मम्मी ने पूछ लिया, कपड़े कैसे गंदे हो गए? उसने पिल्ले बाली बात बता दी।
मम्मी ने उसको एक थप्पड़ जमा दिया। नाली में हाथ डाला तुमने? किसने सिखाया है ऐसे गंदे काम करना? बेचारा रोकर रह गया।
शाम को पापा को आने दो तब बताऊंगी कि बोतल कैसे तोड़ी तुमने, कितनी महंगी बोतल थी, एक दिन भी नहीं चलाई।
शाम को पापा को जब ये बात पता चली तो उन्होंने भी उसको डांट पिला दी और एक महिने तक नई बोतल नहीं दिलाने का फरमान भी सुना दिया।
शाम को बाबा ने स्वच्छता का उपदेश दिया। महात्मा गांधी की स्वच्छता के प्रति प्रेम के अनेक किस्से भी सुनाए।
हालांकि उसके बाद कई रातों को बाबा ने राजा हरिश्चंद्र की कहानी सुनानी चाही पर उसने रोक दिया और कोई और कहानी सुनाने की फरमाइश की। अब उसको हरिश्चंद की कहानी से नफरत हो गई थी।
अब उसको दीदी के झूठ बोलने पर उससे नफ़रत नहीं होती थी। क्यूंकि अब उसको झूठ का सच पता चल गया था।
कई झूठ प्यारे होते हैं
🙂